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Matbhed ko Bhula de

सबके लिये खुला है

सबके लिये खुला है – मंदीर यह हमारा ।
मतभेद को भुला है – मंदीर यह हमारा ॥ धृ ॥
आओ कोई भी पंथी – आओ कोई भी धर्मी ।
देशी विदेशियों का – मंदीर यह हमारा ॥ 1 ॥
मैदानपट बिछाया – डाला है एक आसन ।
सब देवता समाता – मंदीर यह हमारा ॥ 2 ॥
मानव को धर्म क्या है – मिलती है राह उसमें ।
चाहता भला सभी का – मंदीर यह हमारा ॥ 3 ॥
है विश्वयोग इसका – विश्वात्म देव इसका ।
है शिस्त का रंगीला – मंदीर यह हमारा ॥ 4 ॥
आओ सभी मिलेंगे – समुदाय प्रार्थना में ।
तुकड्या कहे अमर है – मंदीर है हमारा ॥ 5 ॥