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Bhajo sab guruwar ko

भजो सब दत्त दिगंबर को 

भजो सब गुरूवर को दत्तदिंगबर को ॥धृ॥
काँख में झोली रहत दबाये
सिरपर जटा बभूत रमाये
स्नान करे नित गंगाको ॥1॥ भजो….
शंख चक्र अरू गदा विराजे ।
पैर खडाऊँ सुंदर साजे ।
श्वान चलन है सन्मुख को ॥2॥ भजो….
अत्रि और अनुसूया के सुत ।
योगिराज है वह अवधूत ।
त्रिगुणात्मक त्रयमूर्ति को ॥3॥ भजो….
माहुरगढ के वासी भगवान
कृपा करो अविनाशी भगवन्‌‍
शरण में लेलो अब हम सबको ॥4॥ भजो….