Skip to content Skip to footer

Dekh ke teri mayaa

देख के तेरी माया

देख के तेरी माया – प्रभु मेरा मन ललचाया ॥धृ॥
कोई राव कोई रंक भिखारी-कहीं धूप कहिं छाया।
रंग-रंगीली सृष्टि तेरी मानव फिरे भुलाया ॥1॥
सत्य मार्ग को भूल गया मैं देखके कंचन काया ।
नैन खुले तब लगा सोचने क्या खोया क्या पाया ॥2॥
अपने रूपकी छबि दिखला दो-अभिलाषा है दरस करा दों।
ज्ञानकी ज्योत जलादे मन में-शरण तुम्हारी आया ॥3॥