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Harigun Gawat Nachungi

हरिगुन गावत नाचूंगी

हरिगुन गावत नाचूंगी
अपने मंदिर में बैठ बैठकर –
गीता भागवत बाचूंगी ॥
ज्ञान-ध्यानकी गठरि बांधकर
हरिहर संग मैं लागूंगी ॥
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ।
सदा प्रेमरस चाखूंगी ॥